Sunday, December 19, 2010

गाली...



एक बहुत बड़ा सवाल है कि गाली क्या है...?
सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें तो गाली अपशब्द या अपशब्दों को वह समूह है जिसे मुखारबिंद से निकालने के बाद आदमी को संतोष मिलता है...आपको पता है कि फोन किसने बनाया था..? आपको ये भी पता है कि बल्ब किसने बनाया था...? अगर नहीं भी पता तो कहीं किताब विताब पढ़कर आप जानकारी जुटा भी सकते हैं लेकिन क्या किसी किताब से आप ये पढ़ सकते हैं कि पहली बार गाली किसने दी...? ये गाली जैसा शब्द आया कहां से...? सोचिए कितना फ्रसटेट हुआ होगा वह आदमी जब पहली बार उसने किसी को गाली दी होगी...गाली का नाम सुनते ही दिमाग में वही पुरानी गाली आती है जो बचपन से सुनते सुनाते आ रहें हैं...या फिर वो अपशब्द जिन्हें गाली कहते हैं...सोचिए गाली को दिल क्यों नहीं कहा गया...?  अगर उन अपशब्दों को दिल कहा गया होता तो आज गाली का स्वरुप क्या होता...मास्टर साहब बच्चे की शिकायत पैरेंट्स से करते,आपका बच्चा बहुत दिल देता है समझाइए उसे नहीं तो बर्बाद हो जाएगा...अरे...! इस उम्र में ही मां बहन का दिल देता है...
ज्यादा दिन नहीं बीता जब गाली को शुभ संस्कारों में प्रयोग किया जाता था...शादियों में औरतें दूल्हे के घर वालों को जमकर गालिया सुनाती थी...और वो मौज लेकर सुनते थे...होलिका दहन होती थी तो गाली गाकर त्योहार की शुरुआत होती थी...मुझे वो खरका पर वाले काका आज भी याद हैं जो पांच मिनट में पांच सो गालियां दे सकते थे...वो भी लेटेस्ट गालियां...मिज़ाज,ज़बान और हाथ, किसी पर काबू न था, हमेशा गुस्से से कांपते रहते। इसलिए ईंट,पत्थर, लाठी, गोली, गाली किसी का भी निशाना ठीक नहीं लगता था..लेकिन गाली देने के मामले में गोल्ड मेडलिस्ट थे....वो आज नहीं हैं लेकिन जब भी कोई नई गाली का सृजन होता है तो अनायास ही खरका पर वाले काका याद आ जाते हैं...ज़माने की रफ्तार तेज़ हुई और समय की धार ने सारे संस्कारों को काट डाला...लोग गांव से शहर आ गए और सांस्कृतिक गालियों को गांव छोड़ आए...आमतौर पर गाली शब्द अप्रिय लगता है लेकिन किसी ज़माने में इन्हीं गालियों को संगीत के रस में डूबो कर सामाजिक बुराइयों के ख़िलाफ़ अभियान भी चलाए जाते थे और ये मनोरंजन के साधन भी थे...
खैर..
कहने का मकसद सिर्फ इतना है कि ये ब्लाग शुरु कर रहा हूं कुछ ऐसी ही चुटीली मजेदार और सार्थक बहस के लिए, आप भी आइए और हिस्सा बन जाइए..हमारी टैंपोछापियत का... ।